मेरा नाम सुमति है, अभी मैं 34 की हु, ये कहानी है जब मैं 21 साल की थी, मेरा पति दिल्ली में रहता था, शादी के पंद्रह दिन बाद ही मेरा पति दिल्ली आ गया और मैं रह गई थी अपने बूढी सासु माँ के पास, मेरे घर में मेरा एक देवर है वो भी बाहर ही रहता है. घर में मैं और मेरी बूढी सास दोनों ही रहते थे,
मुझे चुदाई का चस्का लग गया था, शादी के बाद तो मैं खूब चुदी थी, पर जालिम पति मुझे यू ही तड़पता छोड़ गया, पर जाना भी जरूरी था इस वजह से मैं कुछ कह भी नहीं सकती, पर जैसे शेर के मुह में खून लग जाए तो वो शिकार को छोड़ता नहीं वैसे ही मेरे साथ हुआ था, मेरे बूर में लंड जैसे ही गया मैं तो बहुत ही ज्यादा चुदक्कड़ हो गई थी, दोस्तों आप यकीं ना करेंगे जब तक मेरे पति मेरे साथ था मैं दिन में चुदने का बहाना ढूंढते रहती थी, और मौक़ा मिलते ही पति मुझे क्या चोदेगा मैं खुद ही पति को चोद देती, वो कहते ही रह जाता था की सुमति रात में प्लीज रात में, पर मैं नहीं मानती थी.
एक दिन वो दिल्ली अपने काम पे चला गया, मैं बस दुल्हन बनी सिर्फ खिड़की के झांकते रहती थी, घर में कोई और था नहीं जिससे मैं बात करती, सुबह से शाम तक बाहर ही निहारते रहती, उस समय मेरे पास मोबाइल फ़ोन भी नहीं था की पति के साथ बात कर लू, मेरा पति सप्ताह में एक बार मुझे कॉल करता था उसके लिए भी मुझे पड़ोस के चाची के यहाँ जाना पड़ता क्यों की उनके पास लैंडलाइन था. पर वो भी मजे से बात नहीं कर सकती थी, मन मसोस के रह जाती.
मेरे खिड़की के सामने एक और मकान था उसमे एक लड़का रहता था रणवीर, वो ग्रेजुएशन कर रहा था काफी सुन्दर था बहुत भोला भाला लड़का, मैं उसको निहारते रहती थी, फिर वो मुझे देखने लगा, मैं भी हंस देती, वह पे सब लोग मिलजुल कर रहते है सबका एक दूसरे के यहाँ आना जाना रहता है, सच पूछिये तो पूरा मोहल्ला ही एक फैमिली होता था, फिर वो मेरे से बात करने लगा, क्या हाल है भाभी, मेरी सास बोली रणवीर कभी भाभी से मिलने भी आ जाया करो बेचारी बोर हो जाती है, रणवीर ने कहा क्यों नहीं आज ही मैं आता हु,
और रणवीर उस दिन से आने जाने लगा, पर वो मुझसे ज्यादा मजाक नहीं करता था, मैं चाहती थी की वो मुझसे मजाक करे, पर वो हमेशा अच्छी अच्छी बाते ही करता था, मुझे लगा की ये ऐसे नहीं मानेगा, फिर मैंने रणवीर से कहने लगा रणवीर मेरी एक बहन है क्या आप उससे शादी करोगे, तो वो कहता नहीं अभी पढाई कर रहा हु, पर उसका थोड़ा थोड़ा इंटरेस्ट ये सब बातों में होने लगा, वो अब शादी गर्ल फ्रेंड आदि बातों में काफी दिलचस्पी दिखाने लगा, फिर वो मुझसे देर तक बाते करता, रणवीर को देखते ही मेरी चूत में खुजली होने लगती, अब मैं उसको किसी भी बाळात में पाना चाह रही थी, मैं चुदना चाह रही थी.
मेरी सासु माँ अपने मायके गई थी क्यों की उनके भाई का देहांत हो गया था, घर में मैं अकेली थी, पर सासु माँ ने चाची को बोल दी थी की आज रात को आप मेरे घर में ही जाना बहू घर पे अकेली है. गर्मी का दिन था रणवीर कॉलेज से आया था, बाहर तेज धुप थी, जोर जोर से हवा चल रही थी, कही कोई नहीं दिखाई दिया, रणवीर को देखते ही खिड़की से बोली रणवीर, मन नहीं लग रहा है आ जाओ, वो घर गया कपडे चेंज कर खाना खा कर आ गया, मैं खुश हो गई, पता नहीं मुझे लग रहा था आज मैं चुदुंगी, रणवीर से बात करने लगी, मैं दरवाजे के पास ही बैठ गई वो अंदर पलंग पे बैठा था, बात चित चल रही थी, अचानक रणवीर उठा और बोला भाभी अभी आ रहा हु, पर जैसे वो दरवाजे के पास मेरे करीब पंहुचा मैंने उसका लंड छु दी, वो झटक के पीछे वापस कमरे में चला गया.
मैं ठहाका देके हसने लगी, रणवीर बोलने लगा भाभी ये गलत बात है, तो मैंने कहा क्यों कुछ कुछ होता है क्या, या मेरा छूना अच्छा नहीं लगा या की अपने पत्नी के लिए बचा के रखोगे, वो बोला मजाक मत करो प्लीज, और फिर से बाहर जाने लगा, मैंने बैठी थी जैसे ही वो करीब आया, मैंने इस बार लंड को ही पकड़ ली, उसका लंड पहले से ही खड़ा हो चूका था, मैं कास के पकड़ी हई थी, वो खड़ा था और कह रहा था छोडो छोडो और मैंने हंस रही थी, और फिर बाद में छोड़ दी, उसका लंड खड़ा हो गया था, फिर रणवीर बोला अगर मैं भी आपका पकड़ लू तो, तो मैंने कहा पकड़ के दिखाओ, मैं तो चाह रही थी की वो मेरी चूचियों को मसल दे, पर वो कर नहीं रहा था, मैंने फिर से कहा इतनी आपमें हिम्मत कहा,
इतना कहते ही वो मेरे तरफ आने लगा, मैं दौड़कर अंदर चली गई ताकि बाहर ऐसी ना हो कोई घर में आ जाये या कही से देख ले, वो मेरे पीची दौडा मैं कमरे में भागती रही और और मुझे पीछे से पकड़ लिया और हाथ आगे करके मेरी चुचियो को दबाने लगा, मुझे काफी अच्छा लग रहा था पर कह रही थी छोडो ना प्लीज छोडो ना प्लीज, उसका लंड मेरे गांड के बीच में सट रहा था मोटा लंड मुझे महसूस हो रहा था मेरी गांड के बीच में सटा था, इतने में मेरा कपड़ा अस्त व्यस्त हो गया था आँचल निचे गिर गया था, वो ब्लाउज के ऊपर का दो हुक खोलने में कामयाब हो गया, और टाइट ब्लाउज के अंदर चूची को हाथ से पकड़ लिया, मैं शांत हो गयी और वो फिर सारे हुक खोल दिया, मैं ब्रा नहीं पहनी थी उस दिन,
उसके बाद वो आगे आ गया और ध्यान से चूचियों को देखते हुए दबाने लगा शायद वो पहली बार चूची देख रहा था, मैं रणवीर को बहसि निगाहो से देख रही थी, उसके बाद रणवीर ने कहा भाभी चोदने दोगी मैंने कहा हां, मैं चाहती भी यही थी, मैं बाहर आई इधर उधर देखि कोई नहीं था पीछे का दरवाजा बंद कर दी, गर्मी की वजह से कोई भी नहीं दिख रहा था, वापस आई रणवीर लंड पकड़ के खड़ा था, मैं दौड़कर उसमे लिपट गई, और चूमने लगी, मैं खिलाडी थी वो अनाड़ी था, मैं वही खटिया पर सो गई और साडी को ऊपर कर दी,
मेरी चूत में हलकी हलकी झांट थी, थोड़ा पैर फैला दी लाल लाल चूत के बीच का दरार, रणवीर बड़ा ध्यान से देख रहा था मेरी मोती मोती गोिर जाएंगे रणवीर को पागल कर दिया, और वो मेरे ऊपर लेट गया, और मेरे होठ को चूसने लगा, उसके बाद मैंने उसके लंड को पकड़ी और अपनी बूर के ऊपर रख के उसको बोली मार धक्का, और वो धक्का दिया मुझे संतुष्टि मिली, वो अब लंड को अंदर बाहर करने लगा, मैं गांड उठा उठा के चुदने लगी, लंड काफी मोटा था और लंबा था इस वजह से मैं काफी आनंद ले रही थी, और जवान लंड था पहली बार मेरी चूत में गया था, पर वो ज्यादा देर तक नहीं रहा शायद वो नवसिखिया था, ज्यादा देर तक चोद नहीं पाया और वो झड़ गया, पर मैं भी मौके का हालात देख के दो तीन झटके दी और मैं भी झड़ गई, मैं निढाल हो गई, वो उठ कर खड़ा हो गया, मैंने बैठने के लिए बोली, मेरी चूत को जांघ को मेरी चूचियों को वो निहार रहा था,
उसके बाद वो बोला काफी मजा आया मुझे, मैंने कहा किसी को बताना नहीं और रात को आना, आज रात को खूब मजा दूंगी, फिर वो चला गया, रात को मैं इंतज़ार करते करते सो गई, लालटेन जल रहा था, खिड़की खुली तभी, मुझे महसूस हुआ की कोई पत्थर का टुकड़ा मार रहा था, मैं उठ गई देखि रणवीर खिड़की के बाहर मुझे उठाने की कोशिश कर रहा है छोटी छोटी पत्थर को फेककर, मैंने कमरे से बाहर आई, आँगन में मेरी चाची सो रही थी जैसे की मेरी सास उनको बोल के गई थी. फिर मैं पीछे का दरवाजा खोल के रणवीर को अंदर की, और कमरे में लाके दरवाजा लगा ली, मै अपना साडी उतार दी और ब्लाउज भी खोल दिया.
वो मेरी चूचियों को मुह में ले लिया और मैं उसका बाल सहलाने लगी, मैंने खटिया पे लेटने लगी तभी रणवीर बोला नहीं खटिया पे नहीं निचे चटाई बिछा लो, मैं समझ गई की आज इसका मूड कुछ और है उसे पता है की खटिया आवाज करेगा, मैं चटाई पे लेट गई, वो लंड निकला के मेरे चूत पे रख के धक्का देने लगा पर इधर उधर हो रहा था मैं लंड को पकड़ के अपने चूत के ऊपर राखी की वो जोर से धक्का दे दिया, अब क्या बताऊँ दोस्तों आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पे पढ़ रहे है. उसके बाद वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा, मैं भी गांड उठा उठा के चुदवाने लगी, इस बार वो मुझे करीब 45 मिनट तक चोदा, तब तक मैं दो से तीन बार झड़ चुकी थी, मुझे काफी आनंद आया था,
इसके बाद तो रणवीर मुझे रोज चोदने लगा, करीब तीन महीने तक उसने मुझे रोज रोज चोदा पर तीसरे महीने मुझे माहवारी नहीं हुई, मैं डर गई गाव समाज था, मैंने एक चाल चली बीमार होने का, और पति को फ़ोन करवाई वो तीन से चार दिन के अंदर आ गया, फिर धीरे धीरे ठीक होने का नाटक की, और पति से चुदी और फिर नेक्स्ट महीने कह दी की मैं माँ बनने बाली हु, और पेट में जो बच्चा था रणवीर का और मैंने पति का नाम दे दी थी, आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएं प्लीज,