मन्दाकिनी का चोदन 3

मैंने ठान लिया की मन्दाकिनी से रिक्वेस्ट करूँगा की मेरी मुराद पूरी करे। वीकेंड में मुझे ट्यूशन के पैसे मिले और मैं मन्दाकिनी को नोवेल्टी अलीगंज ले गया। सिंघम फ़िल्म लगी थी। हम दोनों को बड़ी पसन्द आई। मैंने बालकनी की कॉर्नर वाली सीट ली थी। हाल में जब अंधेरा हो जाता था तो मैं मन्दाकिनी को ओंठों पर किस करता था। वहीँ उसमे मम्मे भी मींजता था। मन्दाकिनी की बुर पर भी इसकी जीन्स पर से ऊँगली दौड़ा देता था। वो चिहुक उड़ती थी।

और प्रकाश के साथ कैसा रहा? मैंने उससे पूछा
ठीक ही था, कुछ खास नही, कुछ जनता ही नही है उसने कहा
मुझे गुस्सा आ गया। तुम्हारी बुर में कीड़ा पड़े छिनार! खूब घपा घप्प पेलवा के आई है। अब सती सावित्री बन रही है बहनचोद! मैं मन ही मन रण्डी को गाली थी। खुद मैंने रंडी को लण्ड कहते देखा। अब कह रही है कुछ हुआ ही नही।

मुझे गुस्सा आ गया।
क्यों झूठ बोल रही हो मन्दाकिनी मैंने खुद तुमको सब करम करते देखा। अब कह रही हो की कुछ् हुआ ही नही। मैं जा रहा हूँ। बाय मैनें कहा और उठ खड़ा हुआ।
सॉरी 2 मुझे माफ़ कर दो रशीद। आइन्दा से मैं झूठ नही बोलूंगी। उसने कान पकड़ के माफ़ी मांगी।

मेरा गुस्सा शांत हो गया। उधर फ़िल्म सुरु हो गयी। गोल्डक्लास की आरामदायक सीट्स पर हम लेट गए। मन्दाकिनी मेरे कन्धे पर अपना सर रख लेट गयी। हम फुसफुसाके बात करने लगे।
अच्छा बताओ कैसा रहा प्रोग्राम?? मैंने बड़ी प्यार से पूछा
मन्दाकिनी मुस्कुरा दी। उसकी ऑंखें खुसी से चमक रही थी। जैसे उसके हाथ कोई खजाना लग गया हो
बहुत बढ़िया! वो बोली बहुत मजा दिया प्रकाश ने मन्दाकिनी ने बताया
यह जानकर मुझे बड़ा सुकून पंहुचा। मैं मन ही मन सोचने लगा काश उसे और चुदते देखो।

देखा मैंने कहा था की प्रकाश और मैं आपस मेंगर्लफ्रेन्ड बदल ले। देखा मजा मिला तुमको। वैसे भी लड़कियां एक लड़के से बोर हो जाती है मैंने कहा
बहुत मजा मिला मन्दाकिनी ने मेरे कान में फुसफुसाकर कहा।

एक महीना बीत चूका था। मेरे और मन्दाकिनी के बीकॉम वाले एग्जाम आ गए थे। हम दोनों बाबू बनारसीदास से बीकॉम कर रहे थे। चुदाई हुए बहुत दिन बीत गए थे। बुर तो दूर 2 तक देखने को नही मिल रही थी। पढाई में इतना बिजी था की एक महीने से मुठ भी नही मारा था। फिर हमारे पेपर हो गए। मैं मन्दाकिनी को हजरतगंज टुंडे के कबाब खिलने ले गया। आज 2 महीने बाद भी मन्दाकिनी को एक गैर मर्द से चुदते देखने वाला सीन मुझे याद आ रहा। याद आ रहा था प्रकाश का वो खास चोदन।

मेरा लौड़ा फन उठाने लगा। मन्दाकिनी ने बताया की बहुत दिन हो गए लण्ड खाये। अब वो चुदना चाहती है। मैं मन ही मन खुस हो गया। मन्दाकिनी ने बताया की उसके मम्मी पापा फिर देल्ही गए है। कैंसर ठीक नही हो रहा है। उसने बताया की मैं कल उसके घर आ सकता हूँ और उसको ठोक सकता हूँ। जाहिर सी बात है की मनंदाकिनी से ये नही कहा की मुझको ठोकना। उसने कहा की कल उसके घर कोई नही होगा। इसका मतलब ठुकाई ही था।

पर उसे चोदने में मुझे जादा इंटेरेस्ट नही रहा था। हाँ मैं तो उसे बस प्रकाश द्वारा चुदते देखना चाहता था। यही मेरी तमन्ना थी।
प्रकाश से बात करुँ?? मैंने उससे बड़े प्यार से पूछा
मन्दाकिनी सर्म से पानी 2 हो गयी। वो कुछ ना बोली। मैंने तुरंत प्रकाश को कॉल किया तो उसने कहा की सोमवार को खाली है। मैने मन्दाकिनी को बताया। वो बहुत खुश लग रही थी।

मन्दाकिनी को मैंने बताया की मैं भी वही रहूँगा, तो वो हैरान रह गयी और मना करने लगी। मन्दाकिनी प्रकाश चुपके से लड़कियों से लड़कियों की फ़िल्म बना लेता है और उसे मार्केट में बेच देता है। इसलिए मैं तुम्हारा ख्याल रखूँगा। मैंने मन्दाकिनी को झांसा दिया। वो मन गयी।सोमवार को मैंने प्रकाश को काल किया की वो एक hd कैमरा कहीं छुपा दे और फ़िल्म बना ले। वास्तव में मैं वो वीडियो देखने के लिए बेक़रार था। मैं मरा जा रहा था।

सोमवार की छुट्टी मैंने और मन्दाकिनी दोनों ने ली। मन्दाकिनी ने एप्लीकेशन में लिखा की डॉक्टर के पास दवा लेने जा रही है पर सच में रैंड प्रकाश का लण्ड खाने जा रही थी। मैं मन्दाकिनी को बाइक पर बैठकर प्रकाश के घर पंहुचा। मन्दाकिनी से एक पिंक टॉप और जीन्स पहन रखी थी। उसके चुचों की झलक मिल रही थी। प्रकाश को देखते ही लगा की आज मेरा सपना सच हो जाएगा। मैं नौकर बनके रंडी को क्यों चोदूँ। जबकि मैं मजे से छिनार को चुदते देख सकता हँ।

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कितनी अजीब बात थी, मैं मन्दाकिनी को आज गैर मर्द से चुदवाने लाया था। हम दोनों वे रिश्ते को 2 साल हो गए थे। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे। पर हम दोनों शादी से पहले जिंदगी के सरे मजे लूटना चाहते थे। मैं उस लड़की से शादी करना चाहता थी जिसको 10 लोगों से चोदा हो। हाँ मैं ऐसा ही चोदूँ और गाण्डू था।

मन्दाकिनी को देखते थी प्रकाश को अंगड़ाई आने लगी। मेरे सामने ही उसने मन्दाकिनी का हाथ पकड़ लिया और उसके चुच्चे दाबने लगा।
कहो जान कैसी हो?? कैसे याद किया इस नाचीज को? उसने मन्दाकिनी के आँखों में झांकते हुए पूछा।
प्रकाश मन्दाकिनी तुमने एक बार और…. मैं चुप हो गया।
….चुदना चाहती है ??? प्रकाश से पूँछ
हाँ मैंने कहा

हम तीनो कमरे में आ गए। मन्दाकिनी सर्म से पानी 2 हुईं जा रही थी। प्रकाश से पहले उसकी सेंडल को निकाला और उसके गोरे पैरो को चूम। फिर उसने मन्दाकिनी के पिंक टॉप को उतारा। मन्दाकिनी से शरमाते हुए हाथ ऊपर किये और प्रकाश ने टॉप उतार दिए। हट्टी कट्टी मनदकिनी के बड़े 2 चुचे अचानक से प्रकट हो गए। प्रकाश उनपर टूट पड़ा और मिंजने लगा। उसने मन्दाकिनी को पीछे घुमाया और उसकी ब्रा के हूक खोल दिया। मन्दाकिनी ऊपर से नंगी हो गयी। सर्म से उसने अपने दोनों हाथों से चेहरा छुपा दिया।

अरे इसमें छुपाना क्या? मजे लेना तो हर लड़की का हक है? प्रकाश बोला
हक हक हक व्हाट था फक! मैंने सोचा
मन्दाकिनी ने अपना हाथ हटाया। 2 बेहद खूबसूरत बड़े 2 चुच्चे हाजिर थे। बड़े 2 काले घेरे देखके प्रकाश के होश उड़ गए। उसने बिना वक़्त बर्बाद किये वो मन्दाकिनी का बायाँ चुच्चा पिले लगा। दायाँ चुच्चों को वो कस कस के दबाने लगा। मुझे यह देख बड़ा मजा आ ऱहा था। मन्दाकिनी ने आँखें बन्द कर ली।

आज तक 2 सालों से मैं ही इस मम्मो को पीता आया था पर आज किस्मत से प्रकाश मन्दाकिनी के बड़े 2 काले घेरे वाले चुच्चे पी रहा था। मन्दाकिनी आहे लेने लगी। उसकी सांसे तेज होने लगी। फिर प्रकाश से उसे छोड़ा और दायाँ चुच्चा पिने लगा। वो बीच 2 में मन्दाकिनी की ऊपरी भुंडी पर दाट भी काट लेता था। सच में ये मादक दृश्य था। मेरी मन्दाकिनी को आज एक गैर मर्द पेलने वाला था। आज उसे कोई अनजान आदमी चोदने वाला था। सच में ये कोई जादू से कम ना था।

अब प्रकाश ने मन्दाकिनी की नेवी ब्लू लेवी जीन्स को उतार दिया। मन्दाकिनी से पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी। प्रकाश ने उसे निकाल दिया।
रशीद, अब मैं रुक नही सकता। इस रण्डी को अब मैं चोदूंगा प्रकाश चीखकर बोला
मन्दाकिनी डर गयी। मैंने उसे नजरों से बताया की घबराये नही। प्रकाश अच्छा लड़का है। वो जोश में आता है तो ऐसे ही बोलता है।

प्रकाश ने अचानक नंगी मनदकिनी को गोद में उदा लिया और बेडरूम की ओर जाने लगा। मैं भी उसके पीछे आ गया। प्रकास से अंदर से कुण्डी बन्द कर ली। उसने चीनी डिस्को लाइट जला दी। बड़े बल्ब बन्द कर दिए। अब उस बेडरूम में हल्की 2 लाइट जल रही थी। कमरे का माहोल रोमांटिक हो गया था। चयिनिस डिस्को लाइट जल बुज रही थी। फिर प्रकाश से जगजीत सिंह की रोमान्टिक गजले लगा दी। मैं जान्ता था की प्रकाश क्या कर रहा है। वो मन्दाकिनी को चोदने के लिए परफेक्ट मूड बना रहा था। कमरे का मौसम अब बेहद रूमानी हो गया था।

प्रकाश से मुझे इशारा किया। मैं सोफे पर बैठ गया। वही प्रकाश मन्दाकिनी को बेड पर ले गया। प्रकाश ने खुद के सारे कपड़े उतारे। और मन्दाकिनी को लण्ड चुसाने लगा। मनदकिनी ने एक नजर मुझे देखा और शर्मा गया। आँखे बन्द करके लण्ड चूसन करने लगी। प्रकाश उसके मुह को चोदने लगा। प्रकाश के कहने पर मन्दाकिनी उसकी गोलियां भी चूस रही थी।

रशीद इसकी मांग भर के चोदूंगा प्रकाश ने मुझसे कहा।
नही ये नही हो सकता मैंने तुरंत मना कर दिया।
वो नाराज हो गया और कहने लगा की मई मन्दाकिनी को ले जाऊ। मैं सोच में पढ़ गया। कहीं ऐसा ना हो की नाटक करते 2 सच में मन्दाकिनी को इस हरामी से प्यार को जाए और म्मदकिनी कहीं इस सूअर से सादी ना कर ले

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मन्दाकिनी ने आकर मुझे समझाया की ये बस एक नाटक होगा। उसने मुझे यकीन दिलाया की वो मेरी है और मेरी ही रहेगी। मैं मान गया।

प्रकाश से उसे पैर में घुँगरू वाली पायल पहनाई। पैर की उँगलियों में चांदी के बिछुए पहनाये। दोनों हाथों में लाल 20 20 चूड़िया पहनाई। गले में मंगलसूत्र पहनाया। उसकी मांग सिंदूर से भरी। कमर में चाँदी का कमरबन्द पहनाया। पैरों में रंग लगाया। अब मन्दाकिनी नयी नवेली दुल्हन लग रही थी। प्रकाश साला हरामी मेरी मन्दाकिनी के साथ सुहागरात मनाना चाहता था। बहनचोद बड़ा होशियार निकला।

मुझे मन्दाकिनी को सजाकर चोदना कुछ अच्छा नही लग रहा था। ये तो मेरा सपना था की मन्दाकिनी से शादी के बाद मैं ऐसे सुहागरात मनाता। मुझे बड़ा ख़राब लग रहा था। एक मन हुआ की मन्दाकिनी को लेकर वापस आ जाऊ। पर मन्दाकिनी ने मुझे विश्वास दिलाया। मैं तैयार हो गया। सजने के बाद मन्दाकिनी बिलकुल देवी लग रही थी। काम की देवी। उसे इस तरह सोने चाँदी के गहनों में देखकर तो किसी 80 साल के बुड्ढे का भी खड़ा हो जाता। मैं अच्छी तरह जानता था की अगर आज एक बार प्रकाश से मन्दाकिनी को चोद लिया लो वो कभी नही भूलेगा।

पर मैं बेचारा था। प्रकाश ने मन्दाकिनी को मुलायम बेड पर लेता दिया। और उसकी टांगे फैला दी। चाँदी की कमरबन्द कमर पर बड़ी जँच रही थी। सफ़ेद चमकती चंडी और मन्दाकिनी का गोरा बदन। उसने जैसे ही कमरबन्द ऊपर किया मन्दाकिनी का बड़ा सा भोसड़ा दिकने लगा। साफ चिकनी चूत। एक भी बाल नही। मेरे द्वारा 2 साल तक मन्दाकिनी का भोसड़ा। उसकी जरा सी फटी चूत। जरा से खुले बुर के ओंठ। बस जरा से। अभी भी टाइट चूत।

प्रकाश के मुह में पानी आ गया। उसने अपनी आँखे बन्द की और लगा बुर चाटने। हल्का नमकीन स्वाद। उफ़्फ़!! प्रकाश के तो होश उड़ गए। अपनी खुरदरी जब से वो बुर को ऊपर निचे चाटने गया। एक हाथ से उसने मन्दाकिनी की बुर को फैलाया और ऊपर के दाने को हाथ से सहलाने लगा। वो ऊपर से बुर के सबसे ऊपर के भाग को हाथ से घिसता और निचे से वो अपनी मुँह से बुर चाट रहा था।

मन्दाकिनी की बुर इतनी सुंदर थी की क्या बताऊँ। 4 5 इंच लम्बी बुर तो आराम से होगी। उधर मन्दाकिनी के चुच्चे छोटे बड़े होने लगी। वो गरम होने लगी। वो छटपटाने लगी। बेचैन होने लगी। इधर उधर पैर पटकने लगी। उसकी पायल के घुँगरू शोर मचने लगे। चूड़ियाँ छन छन करने लगी। आब भी मन्दाकिनी के पैर में वो काला धागा बँधा था पर मन्दाकिनी ने उसे नही उतारा था की कहीं उसकी माँ को सच्चाई ना पता चल जाए।

अरे माँ जी, आपकी लौंडियाँ के पास अब इज़्ज़त नही रही। तोड़ के फेक दो ये काला धागा। 2 सालों से मुझसे चुदवा रही है। अब तो इसकी बुर का भोसड़ा भी बन चूका है। अरे माँ जी और रही सही कसर ये बेटीचोद पूरा कर रहा है। आपकी लौंडियाँ तो आज प्रकाश के साथ सुहागरात मनाने जा रही है। इस काले धागे से कोई फायदा ना हुआ माँ जी मैंने मन्दाकिनी की और देखते हुए कहा।

अब करो ! अब करो! मन्दाकिनी चिल्लाने लगी ।
प्रकाश ने उसकी बुर चाटना बन्द कर दिया। उसने मन्दाकिनी की गांड के निचे 2 मोटे तकिया लगा दिए। उसने अपने लौड़े पर खूब सारा थूक लगाया । मन्दाकिनी की बुर के दरवाजे पर रखा और अंदर दाल दिया।

हाय खुदा। मैं बता नहीं सकता मुझे कितना सुख मिला। मन हुआ की अभी ही मुठ मार लूँ। मेरा 9 इंच का लौड़ा हिचकोले खाने लगा। मेरे लौड़े से माल बहने लगा। प्रकाश ने मन्दाकिनी का चोदन सुरु किया। हलके 2 धक्के, जो बड़े प्यार से तेज होते जा रहे थे। मन्दाकिनी ने अपनी आँखे बन्द कर रखी थी। बन्द आँखों में वो और भी हसींन लग रही थी। वहीँ दूसरी ओर प्रकाश उसकी बुर के ऊपरी बने को सहलाता था और दना दन मन्दाकिनी को चोदे जा रहा था।

मैं सुख की बरसात में भीग गया था। मेरी आँखों में नशा छा गया था। मैं एक हाथ से हल्की 2 मुठ भी मार रहा था। जलती बुझती डिस्को लाइट और जगजीत सिंह का संगीत और भी रूमानी माहोल बना रहा था। गचा गच्च गचा गच्च प्रकाश मन्दाकिनी की बुर फाड़े जा रहा था। मन्दाकिनी की बुर के ओंठ अब और खुले जा रहे थे। बुर का छेद और ढीला होता जा रहा था। मैं स्वर्ग में था। सायद प्रकाश से जादा मजा मुझे मिल रहा था। उसे गैर मर्द से चुदते देखना परम् सुख था।

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अल्लाह करे ये चुदाई कभी बन्द ना हो। ये ऐसे ही चुदती रहे। करीब 2 घंटे तक प्रकाश ने मन्दाकिनी को ऐसे ही भांजा। खूब चोदा साली को। फिर उसने उनकी गांड मरी। 8 10 तरीके का पोज़ बनाकर प्रकाश से उसे बजाय। चूड़ियों भरे हाथ बहुत सूंदर लग रहे थे। कोई देखकर नही कह सकता था की मन्दाकिनी उसकी नयी दुल्हन नही है।

प्रकाश सुहागरात अच्छी तरह से मना रहा था। प्रकाश खुद लेट गया और मन्दाकिनी उसे चोदने लगी। 4 घण्टे बीत चुके थे। प्रकाश पासीन 2 हो गया था। वहीँ मन्दाकिनी भी पसीने से भीग गयी थी। प्रकाश का लौड़ा छिल गया था। पर फिर भी प्रकाश मन्दाकिनी को चोदे जा रहा था। मन्दाकिनी की नाक में प्रकाश ने एक बड़ी सी नाथ पहना दी थी जो चेन द्वारा कान के झुमकों से जुडी थी। मन्दाकिनी सौंदर्य की मूरत लग रही थी। प्रकाश उसे गचा गच्च चोदे जा रहा था। मुझे अभुतपूर्व सुख मिल रहा रहा। कोई भी नही कह सकता था की प्रकाश उसका पति नही है।

उसी दौरान मैंने हाथ से मन्दाकिनी को देखते 2 ही मुठ मर ली। मैं सुखसागर में भीग गया था। मुझे चरम सुख मिल गया था। मैं धन्य हो गया था। मन्दाकिनी के चोदन का 5वाँ घण्टा चल रहा रहा। अभी प्रकाश 2 बार ही झड़ा था। मैं उसकी पॉवर जानता था। वो अभी 3 बार और झड़ सकता था।

मन्दाकिनी को वो हर एंगल से बजा रहा था। किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह मन्दाकिनी जम रही थी। बैठा के, लेटा के, गोदी में, कुतिया बना के, वो हर एंगल से मन्दाकिनी को बजा रहा था। मन्दाकिनी गर्म 2 सिसकारियाँ ले रही थी। उसे भी मजा आ रहा था। रंडी सातवे आसमान में विचरण कर रही थी। मैंने मन्दाकिनी के चोदन को देखते हुए एक बार और मुठ मार दिया। आज का दिन मेरी जिंदगी का सबसे यादगार दिन था। मैं धन्य हो गया था।

राशीद इधर आओ  प्रकाश ने मुझे बुलाया
मैं उसके पास चला गया। प्रकाश मन्दाकिनो को बड़े प्यार से चोदने लगा। मंडस्किनी दोनों टंगे बिलकुल फैलाये लेती थी। देखो रण्डी कैसे मजे से टाँग फैलाये पेलवा रही है। मैंने सोचा।
रशीद ये देखो   प्रकाश ने कहा और पूरा लौड़ा उसने गच्च से मन्दाकिनी की बुर में उतार दिया।
अब संतुष्ट हो न? प्रकाश ने अपना बड़ा सा लौड़ा मन्दाकिनी की बुर में डाले 2 ही पूछा।
हाँ बहुत संतुष्ट हूँ मैंने जवाब दिया।
यहीं मेरे पास रहो और देखते रहो  प्रकाश बोला।
माँ बिलकुल करीब से मन्दाकिनी को चुदते देखने लगा।
ऐ रशीद जब तो इस रण्डी को मैं फाड़ रहा हूँ जरा दुकान से 4 आशिक़ी तम्बाकू चुना और एक सिगरेट की डिब्बी ले आ। और पैसा तुमको ही देना है।
दे दूंगा भाई! मैंने कहा।

घूमफिर कर मैं एक घण्टे बाद लौटा। मन्दाकिनी के चोदन को 6 घण्टे पुरे हो चुके थे। मन्दाकिनी की आँखों का काजल फ़ैल चूका था। मन्दाकिनी बेड पर एक ओर लुढ़क गयी थी। वो किसी कुतिया की तरह हाफ रही थी। रांड बहुत चुदी थी। बेड पर उसकी 10 12 लाल रंग की चूड़िया टूटी हुई पड़ी थी। 6 घण्टे के जोरदार चोदन के बाद उसकी पायल के बहुत से घुँगरू टूटू कर इधर उधर पड़े थे। आँखों का काजल फ़ैल गया था। उसके लम्बे बाल टूट गए थे और ख़राब हो गए थे। उसके बाल इधर उधर उलझ गए थे। उसके बालों में प्रकाश ने मोगरे के फूलों वाला जो गजरा लगाया था वो भी टूट चूका था।

मैं जान गया था की रांड आज बहुत चुदी है। इस रण्डी की पलंगतोड़ चुदाई हुई है। प्रकाश को मैंने सिगरेट दी। उसने जलायी और लम्बे 2 छल्ले छोड़ने लगा।
यार रशीद! ऐसा मॉल मैंने जिंदगी में नही खाया। मैं इसकी चूत और मारूँगा। इसके बदले तुम मेरी बहन को और गीता को चोद लेना
माँने उसे शुक्रिया कहा।

दोस्तों आप को मेरी कहानी कैसी लगी। जरूर बताये….
रशीद खान



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