दोस्त की माँ को पटाया और चूत में मोटा लंड डालकर चोदा

हेल्लो दोस्तों, मैं गौतम आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। मैं पिछले कई सालों से नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक रहा हूँ और ऐसी कोई रात नही जाती तब मैं इसकी रसीली चुदाई कहानियाँ नही पढ़ता हूँ। आज मैं आपको अपनी स्टोरी सूना रहा हूँ। में उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी सभी लोगों को जरुर पसंद आएगी।

मुन्नू मेरा सबसे ख़ास दोस्त है, उसका घर मेरे ही घर के पास है। मेरी उससे काफी पटरी खाती है। अभी हम दोनों कॉलेज में पढ़ रहे है। मैं अक्सर पढने के लिए मुन्नू के घर जाता था। धीरे धीरे मेरी उसकी माँ से अच्छी दोस्ती हो गयी। मुन्नू के पापा ने उसकी माँ को डिवोर्स दे दिया था और इलाहाबाद में किसी नई उम्र की लड़की से शादी कर ली थी। उस काण्ड के बाद अब वो कभी घर नही जाते थे, जबकि मुन्नू की माँ अभी भी जवान और तड़तड़ माल थी। उसकी माँ की उम्र अभी कोई ३० की होगी। मैं उनको आंटी जी कहकर पुकारता था। वो मुझे बहुत प्यार करती थी और हमेशा बेटा बेटा कहकर बुलाती थी।

एक दिन जब मैं मुन्नू के घर पर उससे मिलने गया था वो सब्जी खरीदने बजार गया था। मैं आंटी जी [मुन्नू की माँ] के पास बैठ गया और बात करने लगा।

“अंकल जी की दूसरी वाली वाइफ को क्या आपने देखा है आंटी??” मैंने पूछा

“….हाँ….बहुत खूबसूरत है…फेसबुक चलाती है। रोज नई नई फोटो लगाती है।  उसी चुड़ैल ने मेरे पति को अपने प्रेमजाल में फांस लिया, वरना वो तो किसी लड़की की तरफ आँख उठाकर नही देखते थे” मुन्नू की माँ बोली और रोने लगी। सायद मैंने ये बात उठाकर आंटी जी को छेड़ दिया था। मुझे इस मुद्दे पर बात नही करनी चाहिए, मैं सोचने लगा।

“वो मेरे हसबैंड की सारी कमाई महीने की पहली तारिक को ही लेती है….बहुत चालाक औरत है!!” आंटी जी बोली

“चालाक न होती तो आपके पति को कैसे पटाती??” मैंने कहा

“आंटी अब आप क्या दूसरी शादी करेंगी?? आप तो अभी बिलकुल जवान है। सिर्फ ३० साल की हुई है, अभी तो आपके समाने पूरी जिन्दगी पड़ी है” मैंने सहानुभति प्रकट की

इस तरह हम दोनों बात करने लगे। मैं जब भी जाता तो (मुन्नू की माँ) आंटी जी की बड़ी तारीफ़ कर देता की आज वो बहुत खूबसूरत लग रही है। सच में दोस्तों, मुन्नू की माँ बिलकुल मस्त माल थी और बिलकुल चोदने लायक आइटम थी। उपर वाले ने उनको बड़ी फुरसत से बनाया था, जब काली साड़ी वो पहनती थी की तो क्या मस्त माल लगती थी जैसे कोई चमकता हीरा कोयले की खान से निकल रहा हो। आंटी को सजने सवरने का बड़ा शौंक था, रोज अपने काले घने बालों के शम्पू लगाती थी। और जादातर बालों को खुला ही रखती थी, कसे फिटिंग ब्लाउस में उनके ३६” के मम्मे तो जैसे गर्व से तन ताजे थे। एक दिन जब मैं मुन्नू के घर गया तो आंटी से मेरी मुलाकात हो गयी। वो मेरे लिए चाय लेकर आई। खुले बालों और काली साड़ी में किसी इंद्र की अफसरा से कम नही लग रही थी।

उनका गोरा गदराया बदन काली साड़ी में तो और भी हसीन, खूबसूरत, जवान  लग रहा था।

“ओह्ह्ह …आंटी, आज तो आप इतनी सुंदर लग रही हो की दिल करता है आपसे इसी समय शादी कर लूँ!!” मैंने बोल दिया

वो शर्मा गयी और लाज से आंटी का मुंह लाल हो गया। अब वो अच्छी तरह से जान गयी थी की मैं उनको पसंद करता हूँ। जब भी मैं मुन्नू के घर जाता, उसकी मम्मी के लिए छेना और काजू की बर्फी जरुर ले जाता। आंटी को ये दोनों मिठाइयाँ बहुत पसंद थी। धीरे धीरे आंटी भी मुझसे पट गयी। धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे को ताड़ने लगे, पर ये बात मुन्नू को नही मालुम हुई।

“बेटा गौतम, मुन्नू को ये ना पता चले की मैं तुमको पसंद करती हूँ” आंटी बोली

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“ओके आंटी….ये राज हम दोनों के बीच में रहेगा” मैंने कहा

दोस्तों, धीरे धीरे मैं मुन्नू की माँ को बहुत जादा पसंद करने लगा, रात होती तो मैं यही सोचता की काश वो पास होती तो उसने प्यार करता और उनको कसकर चोद लेता। मैंने आंटी को जिओ वाला एक सेट खरीद कर दे दिया और हम लोग रात रात चैटिंग करते और बात करते। धीरे धीरे मेरा आंटी को चोदने का बड़ा दिल करने लगा और उनका भी मुझसे चुदवाने का बड़ा दिल करने लगा।

“आंटी…..अब बातों से काम नही चलेगा” मैंने मजाक में कहा

“तो फिर किस्से चलेगा….??” मुन्नू की माँ हँसते हुए बोली। वो मेरा इशारा समझ रही थी, सब कुछ जान रही थी, फिर भी मजाक कर रही थी।

‘…मुझे आपके गुलाबी होठ चूसने है और आपनी रसीली बुर पीनी है….” मैं हँसते हुए कहा

“और………???” आंटी मस्ती करती हुई पूछने लगी

“……और आंटी मुझे आपनी रसीली चूत में अपना मोटा लौड़ा डालकर चोदना है!!” मैंने खुलकर कह दिया

मेरी बात सुनकर बहुत चुदास चढ़ गयी, मेरी बात सुनकर इसी रात के समय उन्होंने अपने पेटीकोट में डाल डाल दिया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। मेरी बात सुनकर आंटी बिलकुल पागल हुई जा रही थी।

“गौतम बेटा, एक बार जरा फिर से बोलो….” आंटी चुहिल लेती हुई बोली

“आंटी…मैं आपको कसकर अपने मोटे लौड़े से चोदना चाहता हूँ, आपनी नर्म चूत को मैं बेदर्दी से अपने मूसल जैसे लौड़े से कुचलना चाहता हूँ” मैंने कहा

मुन्नू की माँ को ये बात सुनकर बहुत अच्छा लग रहा था। पूरी रात हम लोग सेक्स और चुदाई की बात करते रहे। मैंने उससे कह दिया की किसी दिन मुन्नू को शहर से बाहर भेज दें, तब मैं आंटी से मिलने जाऊ और उनकी ठुकाई करूँ। २ हफ्ते बाद मुन्नू के मामा के यहाँ किसी की शादी थी। मुन्नू भी बड़ा बेचैन था की वो मामा के यहाँ जाना चाहता है तो उसकी माँ ने उसे शादी में भेज दिया और मुझे फोन करके बुला लिया। शाम को ६ बजे मैं आंटी के घर पहुच गया। वो सजसरकर जैसे मेरा ही इंजतार कर रही थी। मैंने उनको तुरंत सीने से लगा लिया और किस करने लगा। हम दोनों ने एक दूसरे को बाँहों में भर लिया था।

“ओह्ह्ह्ह ..आंटी! आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो” मैंने कहा

“गौतम बेटा, तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो!! मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ” मैंने कहा

उसके बाद तो दोस्तों, मैंने मुन्नू की माँ , आंटी जी को पकड़ लिया और सीधा उनके होठो पर ओठ रख दिए और उनको चूसने लगा। हम दोनों एक दूसरे को पागलो की तरह किस कर रहे थे, गाल, गले, आँखों, नाक, कान सब जगह एक दूसरे को किस कर रहे थे। आज इतनी मस्त माल को चोदने को मिलेगा, ये सोच सोचकर मैं फूले नही समा रहा था। हम दोनों आराम दायक डनलप के सोफे पर आ गये और प्यार करने लगे। मैंने आंटी के गोरे चमकते गाल पर काट लिया और उसने छेड़ खानी करने लगा। फिर मैंने उनको सोफे पर ही लिटा दिया। और एक बार फिर से उनके रसीले होठ चूसने लगा। आज भी मुन्नू की माँ काली साड़ी और खुले हुए बाल में थी, जिसमे वो बड़ी मस्त माल लग रही थी।

“रुको बेटा…..तुम्हारे लिए कुछ ठंडा ले आऊ…” आंटी बोली

“जब आपकी गर्म गर्म चूची का दूध मुझे पीने को मिल रहा है तो मैं कुछ ठंडा क्यों पियो आंटी!!” मैंने कहा और काली साड़ी का पल्लू मैंने उनके ब्लाउस से हटा दिया। आंटी भी जान गयी की थी उसके बेटे का दोस्त आज उनको कसकर चोदने वाला है। कुछ दी देर में मैंने उनके काले ब्लाउस का एक एक बटन खोल डाला और निकाल दिया। आज मुन्नू की माँ ब्रा नही पहने हुई थी। उनकी उफनती छातियों को देखकर मैं पागल हो गया था। कुछ ही देर में मैं आंटी के मस्त मस्त दूध मुंह में लेकर पीने लगा।

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अपनी आंटी की नंगी छातियों पर मैंने अपने हाथ रख दिए। उफ्फ्फ्फ़!! कितने मस्त, कितने बड़े बड़े दूध थे उनके। इतने सुंदर मम्मे मैंने आज तक नही देखे थे। मैं हाथ से उनके पके पके आमों को दबाने लगा। वो  “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…” करके सिसकी लेने लगी। मैं खुद को रोक न सका। आंटी सिसकने लगी। मैं और जोर जोर से उनकी नर्म नर्म छातियाँ दबाने लगा। वो और जोर जोर से सिसकने लगी। फिर मैं उनके पके पके आमों को मुँह में भरके पीने लगा, मैं अपने नुकीले दांतों से आंटी की मुलायम मुलायम छातियों को काट काटकर पी रहा था। दांतों से चबा चबा कर मैं उनकी मस्त मस्त उजली उजली छातियाँ पी रहा था। कसम से दोस्तों, ये दृश्य बहुत मजेदार था। मैं मुन्नू की माँ की छातियों को भर भरके पी रहा था। मैं पूरे मजे मार रहा था। वो छातियाँ शायद दुनिया की सबसे रसीली छातियाँ थी।

““……उई..उई..उई…. माँ….माँ….ओह्ह्ह्ह माँ…. .अहह्ह्ह्हह….बेटा गौतम मुझे बहुत अच्छा लग रहा हैहैहै…..मेरी चूचियां तू इसी तरह पीता रह बेटा!!” आंटी बहककर बोली। फिर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पूरी तरह से मैं नंगा हो गया।

मैं मुन्नू की माँ की साड़ी निकाल दी और पेटीकोट का नारा खोल दिया। आज उन्होंने पेंटी नही पहनी थी। मैंने उनके दोनों पैर खोल दिए। उफफ्फ्फ्फ़…गोरी सफ़ेद टाँगे थी की …..कयामत थी। जांघे तो इतनी भरी हुई और सफ़ेद चिकनी थी की दिल कर रहा था की चिकन की तरह पका कर खा जाऊं। मैंने आंटी के पैर खोल दिए। हल्की हल्की झांटों से भरी गहरी भूरी मलाईदार बुर के दर्शन हो गये। मैं बिना १ सेकंड की देरी किये नीचे झुक गया और उनका बड़ा सा भोसडा पीने लगा। आंटी मचल गयी। वो कामवासना के वशीभूत हो गयी और अपने पके पके पपीते(मम्मो) को खुद की अपनी जीभ में लगाने लगी और किसी प्यासी चुदासी कुतिया की तरह चाटके लगी।

“…हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……” आंटी आहे भरने लगी। मैं इधर नीचे उनका मस्त मस्त मलाईदार भोसडा पी रहा था। उनके पति ने उनको डीवोर्स देने से पहले खूब पेला खाया था, खूब चोदा खाया था। मैंने ऊँगली से आंटी का भोसड़ा खोल के देखा तो बड़ा सुराख़ मिला। उनकी चूत पूरी तरह से फटी हुई थी। मैं अपनी जीभ मुन्नू की माँ की बुर के छेद में डालने लगा तो वो मचलने लगी। “…सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….बेटा गौतम आराम से!!” आंटी आहे लेने लगी और मेरा सिर अपनी चूत पर से हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी। पर मैं भी असली चोदू आदमी था। आंटी बार बार अपनों दोनों जांघें सिकोड़ने और बंद करने लगी. ‘हट मादरचोद!! अपना भोसड़ा पीने दे। हट हरामजादी !!” अपनी चूत पिला’ मैंने मुन्नू की माँ को डाट दिया। उन्होंने अपनी दोनों गोरी जांघें फिर से खोल दी। स्वर्ग जाने का दरवज्जा ठीक मेरे सामने था। मैं फिर से उनकी बुर पीने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना लंड आंटी की चूत में सरका दिया और मजे लेकर चोदने लगा। मैं उनको पेलने लगा। घप घप करके मैं चोदने लगा। मेरे सबसे बेस्ट फ्रेंड मुन्नू की माँ मुझसे चुदवाने लगी। उनकी आँखें योनी मैथुन के सुख से भारी होकर बंद हो गयी थी। सायद उनको बहुत मजा मिल रहा था।

‘……उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ…आह हा हा आहा! गौतम बेटा… जोर से!!.. जोर से….मुझे पेलो!!’ आंटी सिसकारी लेने लगी और कहने लगी। मैं गचा गच उसको पेलने लगा। उन्होंने मुझे दोनों हाथो से कसकर पीठ से पकड़ लिया और मेरी नंगी पीठ पर मेरी रीढ़ की हड्डी पर अपने नाख़ून गढ़ाने लगी। मेरी ख़ास छिल गयी थी, खून निकला आया था। मुझे नंगी पीठ पर जलन साफ साफ़ महसूस हो रही थी। ये याद करने काबिल घटना थी। मैं सम्भोग के लिय आवश्यक पूरे जोश और ऐनर्जी में आ गया था। मैं जोर जोर से आंटी के भोसड़े में लौड़ा देने लगा। आंटी बिलकुल नंगी थी, उसके चिकने बदन पर कुछ नही था। मैं उनके जिस्म के सबसे संदेवनशील अंग का, उनकी बुर का भोग लगा रहा था। अपने मजबूत लौड़े से उसे कूट रहा था। मैं जोर जोर से आंटी को चोदने लगा। पूरा सोफा चूं….चूं…करके हिलने लगा। मुझे डर लगा की कहीं टूट ना जाए।

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“हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई…….ईईईईईईई  मर गयी….मर गयी.. मर गयी……मैं तो आजजज गौतम बेटा!!” आंटी नशीली आँखों से बोली। तेज तेज ताबड़तोड़ धक्को के बीच चूत पर कुछ देर तक बैटिंग करने के बाद मैंने अपना पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया। उसके बाद मेरे बदन की सारी ताकत जैसे आंटी की चूत ने खीच ली थी और निचोड़ ली थी। मैं आंटी के उपर ही धराशाही हो गया था। सायद वो भी चुदवाकर काफी थक गयी थी। मैं उनके उपर ही लेट गया और कम से कम आधे घंटे तक हम दोनों से कोई बात नही की। फिर मुन्नू की मम्मी को बाथरूम लगी।

“बेटा गौतम….जरा एक मिनट के लिए हटो…मुझे बहुत तेज बाथरूम आई है!” आंटी बोली। वो नंगे नंगे की बाथरूम में गयी और टॉयलेट सीट पर बैठकर मुतने लगी। कितनी कमाल की बात थी की अभी अभी इसी चूत को मैंने कुछ देर पहले भोगा और चोदा था, अब यही गुलाबी बुर मूत्र की पतली सी लम्बी लेकर गर्म धार निकाल रही थी। आंटी के मुतने की आवाज मुझे साफ़ साफ सुनाई दे रही थी। कुछ देर बाद वो लौट आई और एक ग्लास पानी उन्होंने गटक लिया और अपने गले से नीचे उतार लिया। फिर सोफे पर आकर मेरे सामने बहाई से दोनों टांग खोलकर लेट गयी। उनकी चूत में अभी भी मूत्र की कुछ बुँदे चिपकी हुई थी। मैंने आंटी की चूत पर अपना मुंह रख दिया और बड़ी सिद्द्त से उनकी मूत्र की बुँदे मैं चाट गया।

“गौतम बेटा….आज तो तुमने मुझे मेरे पति की याद दिला दी। वो भी इसी तरह तेज तेज मुझे ठोंकते थे!!” मुन्नू की माँ बोली

“बेटा…अब तू मेरी गांड मार!!” आंटी से अगली फरमाईस की

“तो आंटी …चल बन जा कुतिया!!” मैंने कहा

वो तुरंत मेरे कहे को अपना आदेश मानते हुए सोफे पर ही कुतिया बन गयी।  आंटी के चूतड़ तो क्या मस्त मस्त लाल लाल थे। इतने गोल, लचीले और रबर जैसे मुलायम। छूकर ही कितना मजा आ रहा था। मैंने मुन्नू की माँ के खूबसूरत पुट्ठे को हाथ लगाने लगा, ओह्ह्ह मजा आ गया दोस्तों। मैं जीभ से आंटी के लप्प लप्प करते चूतड़ पर अपनी जीभ घुमाने लगा। उनको मेरी छेड़खानी बहुत पसंद आ रही थी। फिर अपने दांत से काटने लगा। आंटी “….आआआआअह्हह्हह… अई…अई…….” करने लगी। इतने मस्त पुट्ठो को पीना और चाटना तो बहुत बड़ा सौभाग्य था। मेरी किस्मत अच्छी थी की आंटी मुझसे पट गयी थी। उनके नितम्ब सायद दुनिया के सबसे सेक्सी नितम्ब थे। मैंने अपने दांत आंटी के गुल गुल पुट्ठो पर गड़ा दिए। ““उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ.. आआआआअह्हह्हह….      सी सी..” आंटी कहने लगी। आंटी के पुट्ठो को काटने में बहुत सुख मिल रहा था। उसके बाद मैंने २ घंटे आंटी की गांड मारी। अब वो पूरी तरह से मुझसे फंस चुकी है और हर हफ्ते मुझे घर बुलाकर चुदवाती है। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।



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