हेलो दोस्तों, चुलबुल पाण्डेय आप सभी का नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में बहुत स्वागत करता है. मैं आपको बताना चाहता हूँ की मैं नॉन वेज स्टोरी का बड़ा फैन हूँ. हर दिन यहाँ की जवान दिल सेक्सी स्टोरीज पढता हूँ. मैं आज आपको अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ. ये मेरी पहली स्टोरी है. कई दिन से मैं सोच रहा था की आपको अपनी कथा सुनाऊँ. मेरी चाचा की अभी जल्दी ही शादी हुई है. मेरी अभी अभी नई नयी हंसिका चाची कुछ ही महीने पहले हमारे घर में आई है. शुरू में वो बहुत पूजा पाठ करती थी. ना ही कभी मुझसे कोई मजाक करती थी. पर धीरे धीरे मेरी हंसिका चाची के सारे राज खुलने लगा.
दोस्तों मुझे पता चला की मेरी चाची बहुत ही अल्टर औरत है. कई लड़कों और मर्दों से वो शादी के पहले ही चुदवा चुकी थी. जब मेरे चाचा दिल्ली कमाने चले गये तो चाची ने मुझे अपने कमरे में बुलाकर चूत दी. चूकी मैं अभी सिर्फ १४ साल का था इसलिए मेरा लंड भी बहुत छोटा और पतला था. इसलिए मैं चाची को जादा मजा नही दे पाया और कुछ ही देर में आउट हो गया. चाची तो पूर्ण यौन संतुष्टि नही हुई और उनकी इक्षा अधूरी रह गयी. हंसिका चाची इस बात से खुश नही थी.
“चुलबुल !! मेरे प्यारे भतीजे ! मैंने तुझसे चुदवाया जरुर पर मजा नही आया. मुझे तो कोई ऐसा मर्द चाहिए तो मुझे २ ३ घंटो तक तो मेरी बुर घिसे ही. इसलिए प्लीस कही से कोई ऐसा मर्द ढूढ ला जो मुझे पूरा मजा दे सके. इसके बदले तू जब चाहना मुझको चोद लिया करना !!” हंसिका चाची बोली.
मैं उनके आदेश को सर आँखों पर रखकर उनके लिए कोई अच्छा मर्द ढूंढने निकल पड़ा, पर दोस्तों किमस्त ने जादा साथ नही दिया. एक तो ये सब काम चोरी छुपें होते है. मैंने अपने कुछ दोस्तों से भी बात की पर कोई चाची की चूत लेने को तैयार नही हुआ. फिर एक दिन शाम को मैं मार्किट में सब्जियां खरीद रहा था. अचानक एक आदमी मुझसे टकरा गया. मेरी सारी सब्जियों की पन्नी फट गयी और सब्जियां सड़क पर बिखर गयी. मुझे गुस्सा आ गया.
“ऐ….अंधे हो क्या??? देखकर नही चल सकते ???’ मैंने गुस्सा कर कहा. फिर मैंने देखा की वो एक बेवडा शराबी आदमी था. देखने में ६ फिट का गबरू जवान था. हट्टा कट्टा था, पर शराबी था. उसके मुँह से शराब की तेज गंध आ रही थी.
“माफ़ कर देना भाई !! नशे में मैं तुमको देख नही पाया. भाई !! इस गरीब पर अहसान करो. १ सौ का नोट दे दो तो मैं एक खम्बा और लगा लूँ !! शराबी बोला. उसे देखते ही मुझे तुरंत हंसिका चाची की याद आई. ये गबरू जवान आदमी चाची को अच्छे से चोद सकता था. मैंने तुरंत अपना फोन निकाला और चाची को लगा दिया “हलो चाची !! एक शराबी मिला है. अगर इससे चुदवाना हो तो घर लेकर आयूँ” मैंने कहा. चाची राजी हो गयी. मैंने शराबी को लेकर घर आ गया.
“ऐ!! शराबी ! मैं तुमको १०० नही ५०० रूपए दूंगा पर तुमको अच्छे से २ ३ घंटे मेरे चाची की बुर लेनी होगी. फिर उस पैसे से तुम जीभर के शराब पी लेना!” मैंने कहा.
“मुझे मंजूर है साब. शराब के लिए मैं आपकी चाची का किसी की चाची को भी चोद सकता हूँ” शराबी झूमते हुए बोला.
मैंने उसको कमरे में ले गया. मेरी हंसिका चाची अच्छे से हाथ मुँह धोकर आ गयी. वो काफी गोरी और खूबसूरत लग रही थी. उन्होंने एक नई जालीदार गहरे गले वाली मैक्सी पहन रखी थी. मैंने शराबी को १ ग्लास ड्रिंक बनाकर पिला दी, जिससे उसका मूड बन जाए. शराबी धीरे धीरे अपने काम पर लग गया. वो चाची के एक एक अंग को हाथ से छूने लगा. फिर उनकी जालीदार मैक्सी के उपर से मेरी हंसिका चाची के बूब्स दबाने लगा. मैं वही कमरे में खड़ा था. सब कुछ अपनी आँखों से देख रहा था. मैं इश्वर से कामना कर रहा था की काश शराबी का लौड़ा १० इंच का मोटा मजबूर लौड़ा हो, वरना इस बार भी चाची की यौन इक्षा अधूरी रह जाएगी.
दोस्तों धीरे धीरे कमरे में मौसम गर्म होने लगा. शराबी गर्म होने लगा. पर अभी तो चाची को चोदने के मूड में नही था. वो तो अभी लम्बा फोरप्ले करना चाहता था. चुदाई की पूर्व क्रीडा करना चाहता था. शराबी धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगा. फिर वो जोर जोर से मेरी चुदासी चाची के ३२ साइज़ के दूध दबाने लगा. चाची भी गर्म और मस्त होने लगी. शराबी चाची के गोल गोल फूले फूले गाल पर कामुकता से काटने लगा. फिर वो बताशा चाची के मम्मे किसी पके टमाटर की तरह दबाने लगा. शराबी की इस तरह की काम क्रीडा को देखकर मेरा भी लौड़ा खड़ा हो गया था. मैंने अपनी पैंट निकाल दी और लौड़ा हाथ में लेकर सहलाने लगी. फिर शराबी चाची के पति की तरह उनके गाल, कान और नाक में काटने लगा. हंसिका चाची की टांगो और घुटनों को हाथ से सहलाने और छूने लगा. फिर उसने मेरी चुदासी अल्टर छिनाल चाची के दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए. उनके उपर आ गया और चाची के गुलाबी खूबसूरत होठो को चूमने लगा.
ये सब देखकर मेरा तो लंड बहने लगा. बहनचोद !! ये शराबी तो मेरी चाची को अच्छे से गर्म कर रहा है. पूर्व सेक्स क्रीडा में तो ये काफी निपुड लग रहा है. मैंने सोचने लगा. इस समय शराबी मेरी चाची के होठो को खा रहा था. इतनी जादा आवाज कर रहा था की लग रहा था की चाची के दोनों ओंठो को खा जाएगा. फिर वो अपने ताकतवर पंजो से हंसिका चाची के टमाटर इतनी जोर से दबाने लगा की चाची की माँ चुद गयी. वो बचाओ बचाओ कहने लगी. मैंने शराबी के हाथ चाची के टमाटरों से हटाए. “बहनचोद !! चाची की चूत लेने को मैंने तुझसे कहा है ….जान लेने को नही कहा है. जो करना है आराम आराम से कर!!” मैंने उसे समझाया. शराबी एक जाम लगाकर फिर से अपने धंधे पर जुट गया. अब वो धीमे धीमे छिनाल हंसिका चाची के टमाटर दाब रहा था. कुछ देर बाद उसने चाची की मैक्सी निकाल दी और चड्ढी भी उतार दी. मेरी चाची किसी खुली हुई तिजोरी की तरह उस बेवड़े के सामने थी. मन तो कर रहा था की शराबी की गांड पर २ लात मारूं और उसको हटाकर खुद अपनी चाची को किसी रंडी की तरह चोदू.
पर दोस्तों मैं अभी उस काबिल नही था. फिर शराबी मेरी चाची के मस्त मस्त दूध पीने लगा. इस बार वो आराम से पी रहा था. मैं उसके सामने ही खड़ा था. वो बड़े मजे से धीरे धीरे हंसिका चाची की कड़ी निपल्स को मुँह में भरके धीरे धीरे चूस रहा था. किसी बच्चे की तरह. फिर वो चाची की बुर पीने लगा. अपनी जुबान से उनकी चूत के एक एक होठ को वो पी रहा था. ये सब सेक्सी सीन देखकर मुझे बहुत मजा आया. मेरी चाची किसी चुदासी लौड़े की प्यासी औरत की तरह दोनों पैर खोलकर शराबी को अपनी बुर चटवा और पिला रही थी. जैसे ही शराबी ने अपनी बनियान और कच्छा उतारा चाची के साथ साथ मैं भी अचम्भे में था. शराबी का लौड़ा नही कोई फौलाद का लौड़ा लग रहा था. जैसी किसी विदेसी का लंड होता है. शराबी ने मेरी चाची के दोनों पैर खोल दिए और लौड़ा बुर में डाल दिया. जैसे जैसे वो चाची की बुर लेने लगा, पूरा पलंग चू चू करके हिलने लगा.
कुछ देर बाद शराबी ने एक सम्मान जनक रफ्तार पकड़ ली और मेरी छिनाल लौड़े की प्यासी चाची को चोदने लगा. चाची तो मजे ले लेकर उसका लौड़ा खा रही थी. ये सब देखकर मैं खुद को रोक ना पाया और अपने लंड पर मुठ देने लगा. धीरे धीरे हंसिका चाची शराबी की ठुकाई की दीवानी होने लगे. उसके टमाटर जोर जोर से इधर उधर हिलने लगे. शराबी चाची की पलंगतोड़ चुदाई कर रहा था. वो जोर जोर जोर से शानदार फटके मार रहा था. मैंने अपनी आँखों से देखा की शराबी का लंड इनती जल्दी जल्दी हंसिका चाची के भोसड़े में अंदर बाहर हो रहा था की जैसे रंदे से लकड़ी को जल्दी जल्दी घिसकर आग जलाते है , मैं सोच रहा था की कहीं चाची की चूत में आग ना पकड़ ले. शराबी बड़ी जोर जोर से चाची की बुर ले रहा था. उसकी सेवा से चाची बड़ी संतुस्ट लग रही थी. “हा हा हाआआईईईईईई ओह्ह्ह ओह ओह …”करके गर्म गर्म आवाजे चाची निकाल रही थी. ये सब हरकते मैं जादा देर तक बर्दास्त नही कर पाया और जोर जोर से मुठ मारते हुए मैंने अपना माल गिरा दिया.
उधर शाराबी १ पैग पीने के बाद अपनी धुन में था. जिस तरह से वो चाची को ले रहा था, उससे तो मालूम पड़ रहा था की वो २ ३ घंटा तो आराम से पार कर देगा. हंसिका चाची की किस्मत तेज थी की उन्हें सही मर्द मिल गया. चाची गर्म गर्म सिसकारी छोड़ रही थी और कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी. तभी शराबी अचानक उनपर पूरी तरह से लेट गया और चाची के गोरे गोरे फूले गालों को दांत से कामुक अंदाज में काटते काटते चाची की बुर मारने लगा. मैं कमरे में बैठकर चाची को चुदवा रहा था और मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो रहा था. ये मेरी जिन्दगी का शानदार पल था. कुछ देर शराबी चाची के लाल लाल सुंदर भोसड़े में आउट हो गया. जादा देर उसने नही की. कुछ ही देर में वो प्यार की दूसरी पारी खेलने को तैयार था.
“शाबाश !! मेरे भाई !! शाबाश. तुम चाची की मस्त चुदाई कर रहे हो. अब मैं तुझे ५०० नही १००० दूंगा. तुम हफ्ता भर तक अपनी मन पसंद शराब पीते रहना” मैंने कहा और उसके लिए फिर से २ ग्लास जाम बनाया. शराब पीकर शराबी फिर से रिचार्ज हो गया था. मेरी छिनाल आवारा चाची की बुर लेने को वो फिर से तैयार था. मैं कह सकता हूँ की उसका ठुकाई का स्टैमिना यक़ीनन बहुत स्ट्रोंग था. मेरी हंसिका चाची को तो दुबारा चड्ढी पहनने का वक़्त तक नही मिला. शराबी किसी बस के ड्राईवर की तरह अपनी सिट [यानी चाची की बुर] पर फिर से बस चलाने के लिए आ गया. उसने हंसिका चाची के दोनों टांग उपर की तरह मोड़ दिए. चाची का बड़ा सा भोसड़ा उभर कर उपर आ गया. शराबी फिर से उनका फटा भोसड़ा पीने लगा. चाची की बुर बहुत सुंदर थी. शराबी की एक एक हरकत फिर से मेरा दिमाग ख़राब कर रही थी. मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो रहा था. वो काफी देर तक चाची की बुर पीता रहा.
फिर अपने बेहद मोटे सांड जैसे लौड़े से चाची की बुर से खेलने लगा. वो लौड़े को हाथ में पकड़कर चाची की क्लिटोरिस को घिसता रहा. वो बार बार लंड बुर में डाल देता और फिर उपर की तरफ से निकाल देता. वो बार बार यही कर रहा था. जैसे किसी पेप्सी की बोतल का ढक्कन खोल रहा हो. चाची ये देखकर हा हा करके हँसने लगी. आजतक हंसिका चाची की चूत का ढक्कन इस तरह किसी ने नही खोला था. चाची शराबी की तरह देख के हसने लगी. इससे कमरे का ठुकाई वाला सिरिअस माहोल कुछ हल्का हो गया. मैं भी हँसने लगा. कुछ देर बाद चाची की दुसरे राउंड की ठुकाई किसी बैडमिंटन प्रतियोगिता की तरह फिर से शुरू हो गयी. शराबी अपने लौड़े रूपी बैडमिंटन से जोर जोर से चाची की चूत की चिड़िया को मार रहा था. कभी इधर मारता, कभी उधर मारता. कभी दांये, कभी बाएं, कभी सीधे मारता. कभी शराबी सीधा सर्विस करता. वो एक बार फिर से जानदार तरह से बैटिंग करने लगा.
चाची के टमाटर को शराबी ने अपने ताकतवर पंजे में भर लिया. और जोर जोर से चोदने लगा. हंसिका चाची ऊऊऊउ उऊ ऊऊ आहा करके लगी.
“छिनाल !! क्यूँ चिल्ला चिल्लाकर अपनी माँ को याद कर रही है??…रांड !! अब चुदवाना है तो चुप रहकर शांति से क्यूँ नही चुदवाती???’ शराबी ने चाची को डपट दिया. हंसिका चाची चुप हो गयी और शांति से चुदवाने लगी. मैं दूसरी बार अपने छोटे पलते लौड़े पर मुठ दे रहा था. हाथ में लेकर फेट रहा था. हंसिका चाची चाँद तारों की सैर कर रही थी. उनके मुख पर पसीना था जो चुदाई की मेहनत से निकला था. मैं खुद देख रहा था चाची के चेहरे पर सुख साफ़ झलक रहा था. शराबी उनकी अच्छे से ठुकाई कर रहा था. वो एक बार फिरसे चाची के गाल कामुकता से काटने लगा और जोर जोर से उनकी बुर लेने लगा. बड़ी देर तक ये काम क्रीडा , ये ठुकाई का खेल चलता रहा. फिर शराबी ने चाची की बुर से लंड निकाल दिया. उनको कुतिया बना दिया और पीछे से उनके मस्त मस्त पुट्ठों से खेलने लगा.
वो पीछे से चाची की दोनों गोरी चिकनी जांघो के बीच में अपना मुँह डाले हुआ था और चाची ४२० के जिस्म से खेल रहा था. आज वो चाची की बुर की मा बहन करने के मूड में था. मैं ये बात अच्छे से जानता था. वो चाची के पुट्ठे चाटने लगा. ओह्ह दोस्तों , अगर आप लोग भी मेरी हंसिका चाची के गोरे गोरे पुट्ठे देख लेते तो आप लोगों के लौड़े भी तुरंत खड़े हो जाते. वो थी ही इतनी सेक्सी माल. तभी तो उनकी शादी से पहले उनके कई आशिक थे. शराबी मेरी चाची के जिस्म से खेल रहा था. वो पुरे मजे लेना चाहता था. वो जल्दबाजी में मजा किरकिरा नही करना चाहता था. फिर वो हंसिका चाची की पीछे से किसी नाव की तरह दिखने वाली लम्बी उभरी मक्खन जैसी बुर को पीने लगा. वो जीभ निकालकर ऐसी बुर पर फेर रहा था जैसे कोई चित्रकार ब्रश से कैनवस पर पेंटिंग बनाता है. ये देखकर मैं धन्य हो गया था. भला हो इस अच्छे आदमी का जिसने चाची के अधूरे सपनों को पूरा किया.
मैं बड़े कौतूहल से सब कुछ बिना पलकें झुकाए देख रहा था. शराबी अपने काम में माहिर था. वो अपनी जीभ को निकालकर चाची की नाव की तरह दिखने वाली चूत को मजे से पी रहा था. उधर चाची का बुरा हाल था. वो तो उम्मीद कर रही थी की शराबी उनको चोदेगा, पर ये तो चाटने में लगा हुआ था. फिर बड़ी देर तक अपनी जीभ से हंसिका चाची की बुर पर चित्र बनाने के बाद आख़िरकार शराबी उनको लेने लगा. बड़े इंतजार के बाद शराबी कुतिया बनी मेरी चाची के पीछे आ गया. अपने घुटने मोड़कर वो भी कुत्ता बन गया और चाची की बुर में लौड़ा देकर वो उनको चोदने लगा.
चाची को अब चैन मिला. कुत्ते कुतिया की तरह हो रही इस ठुकाई को मैं किसी मैच के रेफरी की तरह देख रहा था. शराबी जोर जोर से चाची की रसीली चूत में गोल पर गोल दाग रहा था. मैंने ये सेक्सी सीन देखकर फिर से मुठ मारने लगा. शराबी जोर जोर से चाची को चोदने लगा. फिर उसने अपना माल चाची के मुँह को खोलकर उसमे गिरा दिया. चाची सब माल पी गयी. उधर मेरा माल भी चूत गया. ये सेक्सी कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
नॉनवेज स्टोरी के सभी प्यारे पाठकों को धन्यवाद!!!