हेल्लो दोस्तों, मैं नॉन वेज स्टोरी का बहुत बड़ा प्रशंशक हूँ। मेरा नाम त्रिभुवन तिवारी है। कुछ सालों पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे इस वेबसाइट के बारे में बताया था, तब से मैं रोज यहाँ की मस्त मस्त कहानियां पढता हूँ और मजे लेता हूँ। पर दोस्तों, आज मैं नॉन वेज स्टोरी पर स्टोरी पढ़ने नही, स्टोरी सुनाने हाजिर हुआ हूँ। आशा करता हूँ की यह कहानी सभी पाठकों को जरुर पसंद आएगी। ये मेरी सच्ची कहानी है।
दोस्तों मुझे नई नई लड़कियों को पटाना और फिर उसकी रसीली बुर चोदना बहुत पसंद था। मुझे सेक्स करना बहुत पसंद था। जब भी मैं किसी सुंदर और जवान लड़की को देख लेता तो बिलकुल सेंटी हो जाता था और उसे पटाने में लग जाता था। मेरी कसिन बहन [मेरे चाचा की लड़की] पलक की सहेली अलका बहुत ही सुंदर थी। जब से मैंने उसे देखा था उसकी बुर चोदने को मैं बेक़रार था। इसलिए मैंने अलका को फोन करके बता दिया कि मैं और पलक आज पीवीआर प्लाजा में फिल्म देखने आ रहे है। वो भी आ जाए। धीरे धीरे मैं अपनी कसिन बहन की सहेली अलका को पटाने लग गया। जब फिल्म शुरू हुई तो मैंने अलका के बगल बैठा था और बार बार उसके हाथ पर हाथ रख देता था। वो समझ गयी थी की मैं उसे लाइन मार रहा हूँ। मैंने उसकी तारीफ़ भी कर दी थी की वो बहुत सुंदर लगती है।
मूवी देखने के बाद मैंने अलका का फोन नॉ ले लिया और हम दोनों फोन से बात करने लगे। सच में अलका बहुत सुंदर लड़की थी। 5 फुट 2 इंच उसका कद था, छरहरा बदन था और देखने में बड़ी भोली और मासूम थी वो। उसका रंग बहुत दूधिया था और चेहरे पर गुलाबी रंगत कोई भी देख सकता था। अलका अभी २१ साल की हुई थी। उसे गाने और डांस करने का बहुत शौक था। धीरे धीरे हम मिलने लगे और हमारा रोमांस परवान चढने लगा। वेलेंटाइन डे पर मैंने एक महँगा मोबाइल फोन और एक ख़ास चीज गिफ्ट की। मैंने उसे बॉडी केयर की एक मस्त जोड़ी ब्रा और पेंटी गिफ्ट की। अब मेरा अलका को चोदने का फुल मन करने लगा था। कुछ दिनों बाद मेरी चचेरी बहन पलक का जन्मदिन था। वहां अलका तो जरुर आने वाली थी। मैंने सोच लिया था की उसे अपनी चचेरी बहन पलक के घर ही चोदूंगा। शाम को ६ बजे मैं अपनी गर्लफ्रेंड को बाइक पर बिठाकर पलक के घर पर पहुच गया।
वहां काफी भीड़ थे। मेरे चाचा, चाची, मेरा चचेरा भाई अर्जुन और पलक से मेरी मुलाकात हुई। मेरे चाचा मेरी पढाई के बारे में पूछने लगे। किसी तरह सबसे बात करके मैं अपनी गर्लफ्रेंड अलका के पास पंहुचा। उसे लेकर मैं उपर वाले फ्लोर पर चला गया। दोस्तों मेरे चाचा का घर बहुत बड़ा था और गार्डेन भी था। मैं अलका को लेकर फर्स्ट फ्लोर पर पंहुचा गया और एक खाली कमरे में घुस गया। वहां पर कोई नही था और हम दोनों आपस में किस करने लगे। आज कितने दिनों बाद अलका को किस करने को मिला था। वो भी मुझे बाहों में भरकर किस करने लगी। सच में वो बहुत सुंदर लड़की थी। उसका चेहरा इकदम गोल था और काले चमकदार बाल थे उसके। अलका के पापा डॉक्टर थे, उसके घर में किसी को नही मालुम था की वो मुझसे पटी हुई है, वरना तो बवाल ही हो जाता। उसके पापा बहुत सख्त मिजाज थे और प्यार व्यार को बेकार और फालतू की चीज मानते थे। वो हमेशा अलका पर नजर रखते थे।
मैं बड़ी देर तक अपनी गर्लफ्रेंड के गुलाबी होठ पीता रहा। लाल बंद गले के स्वेटर और जींस में अलका बिलकुल कैटरीना कैफ लग रही थी। उसे देख के मेरा लौड़ा बार बार खड़ा हो रहा था। हम दोनों काफी देर तक लिपलॉक होकर किस करते रहे। मेरा हाथ उसके ३४” के दूध पर पहुच गया और मैं अपनी माल के यौवन को छू कर महसूस करने लगा।
“अलका ….आज मुझे हर हालत में तेरी चूत मारनी है!!” मैंने साफ साफ कहा
पिछले कई महीनो से मैं अलका से बहुत नाराज था। जब जब मैंने कमरे का जुगाड़ किया, वो नही आई और ना ही उसे चोदने को मिला। इसलिए मैं नाराज था। उसका चेहरा बता रहा था आज वो भी चुदना चाहती थी।
“मुझे कहाँ पर चोदोगे???” वो बोली
“यही पर..इसी कमरे में!!” मैंने कहा
“कोई आ गया तो???” वो घबराकर बोली
“इसका जुगाड़ हो गया है!!” मैंने कहा
दोस्तों उस कमरे में लॉक की चाबी दरवाजे में लगी हुई थी। वैसे भी ये स्टोर रूम था और यहाँ पर कोई आता नही था। मैंने दरवाजे से चाबी निकाल ली थी और अंदर से दरवाजा लॉक कर लिया था।
उसके बाद मैंने अलका को वही एक पुराने पड़े बेड पर लिटा दिया और उससे प्यार करने लगा। अब ये बेड पुराना हो चुका था और बेकार हो चुका था। पर आज इस पर मेरी गर्लफ्रेंड की ठुकाई तो आराम से हो ही सकती थी। हम दोनों ने अपने अपने स्वेटर निकाल दिए। ये जाड़ो के दिन थे। थोड़ी सर्दी भी थी। पर जैसे ही अलका नंगी हुई, उसके दूधिया जिस्म को देखकर मेरी सारी सर्दी दूर हो गयी। मैंने लगे हाथों उसकी ब्रा और पेंटी भी निकाल दी। मैं अलका पर लेट गया और उसके दूध पीने लगा।
उसकी नंगी छातियों पर मैंने अपने हाथ रख दिए। उफ्फ्फ्फ़!! कितने मस्त, कितने बड़े बड़े दूध थे उसके। इतने सुंदर मम्मे मैंने आज तक नही देखे थे। मैं हाथ से उसके पके पके आमों को दबाने लगा। अलका को भी मजा आ रहा था।
वो “ “आआआआअह्हह्हह….ईईईईईईई…ओह्ह्ह्हह्ह…” करके सिसकी लेने लगी। मैं खुद को रोक न सका। अलका सिसकने लगी। मैं और जोर जोर से उनकी नर्म नर्म छातियाँ दबाने लगा। वो और जोर जोर से सिसकने लगी। फिर मैं उसके पके पके आमों को मुँह में भर के पीने लगा। मैं अपने नुकीले दांतों उसकी मुलायम मुलायम छातियों को काट काटकर पी रहा था। दांतों से चबा चबा कर मैं उसकी मस्त मस्त उजली उजली छातियाँ पी रहा था। कसम से दोस्तों, ये दृश्य बहुत मजेदार था। मैं अपनी गर्लफ्रेंड की छातियों को भर भरके पी रहा था। मैं पूरे मजे मार रहा था। वो छातियाँ शायद दुनिया की सबसे रसीली, गोल और शानदार छातियाँ थी। मैं तेज तेज मुंह में भरकर अपनी माल की चूची पीने लगा था। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था और अलका की चूत मारने को बेक़रार था। मैं हपर हपर करके लपर लपर करके उसकी नुकीली नारियल जैसी दिखने वाली बेहद कमसिन चूचियों को मुँह में भरके पी रहा था। अलका के दूध इतने मुलायम मक्खन की तरह थे की मेरा दांत उसमे अपने आप गड़ जाते थे और निशान बन जाते थे।
“त्रिभुवन… मुझे चोद लो, मेरे मम्मे पी लो मगर अपने दांत मेरे बूब्स पर मत गडाओ, वरना मैं अपने होने वाले पति को क्या जवाब दूंगी” अलका अपनी आँखें बंद किये ही बोली। मैं इस बात से सहमत था, इसलिए मैंने दांत गड़ाना बंद कर दिया। धीमे धीमे आराम आराम से मैं उसके दूध पीने और चूसने लगा। उसे हल्का हल्का दर्द हो रहा था, उतेज्जना भी हो रही थी और मजा भी आ रहा था. ‘त्रिभुवन …. आराम से मेरे नारियल चूसो!! आराम से मेरे जानम’ अलका बोली।
मेरा बस चलता तो मैं उसकी छातियाँ खा ही लेता। फिर मैं उसकी रसीली छातियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाने लगा और निपल्स पर अपनी जीभ फेरने लगा और पीने लगा। दोस्तों, बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। मेरी गर्लफ्रेंड सच में कमाल की जिस्म की मलिका थी। वो किसी अफसर जितनी सुंदर थी। मैंने बड़ी देर तक उसकी नर्म नर्म छातियों का मदिरापान किया और सेक्स के नशे में आ गया। उसके दूध पीने के बाद अब मेरा अपनी गर्लफ्रेंड से लंड चुस्वाने के बड़ा दिल कर रहा था।
“चल लौड़ा फेट और मुंह में लेकर पी!!” मैंने कहा
मेरी माल अलका बड़ी सीधी और भोली लड़की थी। उसने तुरंत ही मेरा लंड हाथ में ले लिया और फेटने लगी। मैं उसी के बगल लेट गया था और वो मेरे बैठ गयी थी। मैंने अपने सर के नीचे दोनों हाथो को मोड़कर रख लिया जिससे मेरा सर थोडा ऊँचा हो जाए और अपनी माल से लंड चुस्वाने में मजा आये। मेरा लंड ८ इंच का और ३ इंच मोटा था। अलका मेरे मोटे लौड़े को देखकर आश्चर्य कर रही रही। वो मुश्किल से मेरे लंड को पकड़ रही थी। फिर धीरे धीरे वो उपर नीचे हाथ चलाकर फेटने लगी। मुझे मजा आ रहा था। मैंने उसके दूध को हाथ में लेकर सहलाने लगा। कुछ देर बाद अलका मेरे लौड़े पर झुक गयी और पूरा का पूरा मुंह में ले गयी और मेरा लंड चूसने लगी।
“….आआआआअह्हह्हह… सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो….” मैं आवाजे निकालने लगा। कुछ देर बाद तो अलका किसी चुदक्कड़ लडकी की तरह मेरा लंड चूसने लगी। उसे भरपूर मजा आ रहा था।
“शाबाश……शाबाश…” मैंने उसकी नंगी और चिकनी पीठ पर हाथ से थप थपाकर कहा
अलका तो मस्त लड़की निकली। उसने बताया की उसने कई ब्लू फिल्मो में इसी तरह लड़की को लंड चूसते देखा था, वही से वो सीख गयी। कुछ देर बाद मेरी गर्लफ्रेंड के हाथो की रफ्तार बढ़ गयी और वो बिजली की रफ्तार से मेरा लंड फेटने लगी। मैं गर्म गर्म आवाजे निकाल रहा था। अलका तेज तेज अपने सिर को उपर नीचे करके मेरा मोटा लंड चूस रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसके रसीले और गुलाबी होठ मेरे लंड को चूस रहे थे। मैं जन्नत में पहुच गया था। वो मेरे सुपाड़े को अच्छे से चूस रही थी। मैं उसकी चुचियों को दबा रहा था और निपल्स को अपनी ऊँगली से छेड़ रहा था। वो मेरे लौड़े से मंजन कर रही थी। आह …मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम दोनों इसी तरह अद्भुत रति क्रीड़ा करने लगे। आज मेरा बरसों का सपना पूरा हो गया था। कबसे मेरा मन था की वो मेरे लंड को चूसे और मुख मैथुन करे। उसके बाद हम दोनों सेक्स करे। अलका पर चुदाई का खुमार छाया हुआ था। उसके हाथ तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे और जल्दी जल्दी मेरे लंड को फेट रहे थे।ऐसा लग रहा था की वो लौड़े को खा जाना चाहती है।
मैं अलका के मखमली पेट को दिल लगाकर चूमने लगा और उसे प्यार करने लगा। इस दौरान वो भी बहुत जादा उत्तेजित हो गयी थी और मुझसे कसकर चुदवाना चाहती थी। उसके केक जैसे दिखने वाले गुलाबी पेट को चूमने के बाद मैं उसकी गहरी नाभि पर आ गया और उसमे अपनी जीभ डालने लगा। मैंने खूब जी भरकर अलका की गहरी और सेक्सी नाभि चुसी। फिर उसकी गोरी चिकनी टांगो को मैं चूमने लगा और किस करने लगा। मेरी गर्लफ्रेंड की टाँगे बहुत खूबसूरत थी और जांघ का तो कहना ही क्या। गुलाबी रंग अलका की जांघे मुझे और जादा चुदासा कर रही थी। मैं हर जगह उसकी जांघ को चूम रहा था और दांत से काट रहा था। सच में दिल्ली की लड़कियाँ बड़ी गजब की माल होती है, मैं सोचने लगा।
अलका की चूत बिलकुल क्लीन सेव थी। उसने मुझे बताया की उसे झाटे बिलकुल पसंद नही है। इसलिए वो रोज अपनी झाटो को साफ कर देती है। चिकनी चमेली चूत को देखकर मेरी तबियत हरी हो गयी थी। मैं उसकी चूत पर झुक गया और मजे से पीने लगा। मैं जोर जोर से उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ के स्पर्श से अलका की चूत फूलकर कुप्पा हो गयी। कुछ देर बाद उसे भी चूत पिलाने में मजा आने लगा। मैं उसके चूत के छेद में ऊँगली करने लगा। अलका तड़पने लगी। मैंने उनके यौवन को पीने लगा। अलका के सीने की धड़कन मैं सुन सकता था। वो मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और बिना किसी नखड़े के मजे से मुझे अपनी बुर पिला रही थी। कहीं से किसी भी तरह का विरोध नही था। वो पुरुष ही होता है जिसकी छुअन से एक स्त्री मोम की भांति पिघल जाती है और अपना सब कुछ एक पुरुष को न्योछावर कर देती है। ठीक इसी तरह मुझे अपनी रसीली चूत पिलाने से अलका बहुत गर्म हो गयी थी।
वो मुझसे जल्द से जल्द चुदवाना चाहती थी। उसकी आँखों और हाव भाव में काम की मूक सहमती मैं अच्छे से पढ़ सकता था। धीरे धीरे अलका खुद ही अपनी चूत और उसके दाने को सहलाने लगी। हम दोनो किसी नवविवाहित जोड़े की प्यार करने लगे। आज इस माल को चोदकर मैं अपनी सुहागरात मनाऊंगा, मैंने सोचा। मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा। अलका उछल पड़ी। उसकी चूत में सनसनी हो रही थी। मैं हाथ से जोर जोर से चूत में ऊँगली करने लगा। वो मुझे रोकने लगी। पर मै नही रुका। जब अच्छी तरह चूत का रास्ता बन गया तो मैंने जरा थूक हाथ में लिया और लौड़े पर लगाया और अलका की चूत में डाल दिया। वो चुदने लगी। मैं उनको चोदने लगा। मैंने उसका चेहरा अपने सामने कर लिया जिससे वो मुझसे नजरे ना चुरा सके। मैं उनको पेलते पेलते ही उस पर लेट गया। अपना मुंह मैंने अलका के मुँह पर रख दिया और उसके रसीले ओंठ चूसते चूसते उनको ठोकने लगा।
“….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई……” वो चिल्लाने लगी।
मैं उसको पेलने खाने लगा। अलका मेरे सामने किसी खुली किताब की तरह पड़ी थी। बिलकुल नंगी और बिना कपड़ों के। ये दिसम्बर का महीना था और सर्दियां पड़ रही थी। मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिए और दबाते दबाते उसे लेने लगा। वो सीधा मेरी आँखों में देखने लगी। उसकी नजरों में नजरे डालकर मैं उसे ठोंक रहा था। कुछ देर बाद मैंने उसे जोर जोर के धक्के मारे और आउट हो गया। फिर मैंने उसे पलट दिया। मैं अच्छी तरह जानता था की अब कौन सी पोज में उसको चोदना है। मैंने अलका को फर्श पर खड़ा कर दिया। वो नीचे की तरह झुक गयी और उसने झुककर अपने दोनों हाथ अपने पैरों पर रख दिए। जैसे हम पीटी करते है। मैंने उसके पीछे चला गया और उनकी कमर को दोनों हाथों से मैंने पकड़ लिया। कुछ देर बाद मैंने फिर से उसको नीचे झुका दिया पीटी वाले पोज में और फिर से लंड अंदर डाल दिया। मैं फिर से उसे चोदने लगा। अलका देसी रंडियों की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसकी चीखे मुझे और जोर जोर से उसे लेने को विवश कर रही थी। अलका ने झुके झुके ही मेरे दोनों पैर पकड़ लिए। जिससे उसकी चूत और जादा कसी होने लगी और मैं जोर जोर से उसे पेलकर जिन्दगी के सुख लेने लगा। कुछ देर बाद मैंने लौड़ा उसकी बुर से निकाल लिया और अलका की गांड में ऊँगली डाल दी। दोस्तों, वो सिसक गयी। चुदाई खत्म होने के बाद हम दोनों नीचे आ गये। मेरी कसिन बहन पलक बहुत नाराज लग रही थी। वो केक काट चुकी थी और हम दोनों को ढूढ़ रही थी। मेरा तो गला ही सुख गया था।
“वो अचानक अलका के सिर में दर्द होने लगा था, मैंने उसे पास के डॉक्टर को दिखाने ले गया था!!” मैंने जूठ बोल दिया। किसी तरह मेरी जान बची। पर आज भी दोस्तो उस सर्दी के मौसम में अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने वाली बात मुझे बार बार याद आ जाती है। कहानी आपको कैसे लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दे।