दोस्तों आपने मनगढंत कहानियां बहूत पढ़ी होगी, मैं भी पढ़ी हु कई सारे वेबसाइट पर, पर मुझे नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम की सारे कहानियां पढ़कर बहूत ही अच्छा लगता है क्यों की यहाँ की कहानियां यूजर द्वारा सबमिट होती है. और सही होती है. मेरे सारे दोस्त भी इस वेबसाइट का फैन है. मैं भी आज आपके लिए पहली सेक्स की कहानी लिखने जा रही हु, क्यों की मेरे अंदर जो राज है वो मैं आपलोगों के सामने खोल रही हु, आशा करती हु की मैं आपको अपनी पूरी बात आपके सामने हु बहु रख सकूँ.
दोस्तों मीरा नाम यामी है, यामी गुप्ता 26 साल की हु, आज मैं जो कहानी लिख रही हु, वो मेरी माँ के बारे में है, मेरी माँ को मेरे पापा कैसे हाउस वाइफ से रंडी बना दिए थे, वो मैं आपको बताना चाहती हु, मेरा घर में मेरे माँ पाप एक छोटी बहन और मैं हु, ये बात आज से करीब ८ साल पहले की है, जब हम लोग दिल्ली के पालम विहार में रहते थे, मेरी माँ घर पर रहती थी और पाप एक फैक्ट्री में काम करते थे. हम दोनों बहने सरकारी स्कूल में पढ़ने जाया करते थे. ऊपर की फ्लोर पर रहते थे और निचे मकान मालिक रहता था, एक दिन की बात है, मैं और मेरी बहन दोनों स्कूल से आये, तो मैंने देखा की पापा कमरे के बाहर घूम रहे है यहाँ से वहा, और कमरा बंद था, मैंने कहा क्यों पापा आज मम्मी आपको बाहर निकाल दी क्या, उन्होंने चौक कर देखा और बोले अरे तुम लोग आ गए, छुट्टी हो गयी? हम दोनों ने कहा हां हो गई है. वो तुरंत ही अपने जेब से १० रूपये निकाले और दे दिया बोले जाओ जाओ. कुछ दूकान से खरीद लो. हम दोनों खुश हो गए, और दौड़कर तुरंत ही दूकान जाने लगे. हम दोनों बहन बहूत खुश थे क्यों की पापा ने मुझे पैसे दिए थे. जाते हुए बोल रहे थे की कोई जल्दी नहीं है आराम से आना.
दोस्तों मैं दूकान से वापस आ गई पर दरवाजा वैसे ही बंद था, पापा वही बाहर घूम रहे थे. मैंने कहा क्यों पापा आप बाहर हो. अंदर से मुझे चूड़ियों की आवाज आरही थी. मैंने पूछा क्या मम्मी कुछ काम कर रही है की? पापा बोले अरे जाओ अभी खेल के आओ. हम दोनों बहन निचे जाते जाते वही सीढ़ियों पर छुप गए. क्यों की मुझे लग रहा था आखिर पापा मुझे बाहर क्यों भेजते है. अभी तो हम दोनों स्कूल से आये है. वही सीढ़ियों पर से छुपकर देखने लगे. तभी कमरे का दरवाजा खुला, और अंदर से संजय भैया निकले, संजय भैया की उम्र उस समय करीब २१ साल की होगी. वो मेरे पापा के कंधे पर हाथ रख कर बोले, थैंक्स. अगर आपको और भी पैसे की जरूरत हो तो बता देना. मुझे कुछ भी समझ नहीं आया की आखिर क्या माजरा है. ऐसा मौक़ा कई बार आया जब हम देखते थे की रूम बंद है और पापा बाहर होते थे और मम्मी की चूड़ियों की आवाज आते थे. और बाद में संजय भैया निकलते थे अपने शर्ट के बटन को लगाते हुए.
एक दिन मेरे पाप और मम्मी में लड़ाई हो रही थी. माँ कह रही थी मैं नहीं जाउंगी और पापा कहते थे तुम्हे जाना पड़ेगा. और फिर मेरे घर में लड़ाई बढ़ गई. वो दोनों दो तीन दिन तक आपस में बात नहीं कर रहे थे, अचानक मम्मी सुबह सुबह जीन्स और टॉप में थी. पापा मम्मी को कह रहे थे कोई शिकायत नहीं आणि चाहिए, तो मम्मी कह रही थी मैंने आज तक तुम्हारे जैसे हरामी इंसान को नहीं देखि. एक दिन मैं तुम्हे बिच सड़क पर नंगा कर दूंगी. मुझे कुछ भी समझ नहीं आता था. फिर मम्मी एक छोटा सा बेग लेके जा रही थी. मैंने पूछा की पापा मम्मी कहा जा रही है. मम्मी तो जहा भी जाती है वो हम दोनों को साथ ले जाती है. तो वो बोले की मम्मी मामा जी के यहाँ जा रही है. उस टाइम मुझे बस इतना पता था की मेरे मामा के घर के किसी भी औरत या लड़की को जीन्स पहनना अलाव नहीं था. मुझे लगा की दाल में कुछ काला है. और मैं तुरंत भी पापा को बोली की मैं खेलने जा रही हु, और मैं दूर बस स्टॉप के आसपास दूसरे गली होते हुए पहुच गई. मम्मी को देखि वो ऑटो में बैठ रही थी. वो भी संजय भैया के पापा के साथ.
मैं वापस आ गई, मैंने संजय भैया के मम्मी को पूछी की अंकल कहा गए ऑन्टी तो वो बोली की वो तीन दिन के लिए गाँव गए है. मैं ऊपर आ गई और पापा से पूछी की मम्मी कब आएगी तो वो बोले तीन दिन में. मैं समझने लगी. की पापा कुछ गलत करवा रहे है मम्मी के साथ. दिन ऐसा ही निकलते रहा, मेरे घर में हमेशा तनाव रहता था. मैं सोची की पता नहीं क्या बात है, ये क्या माजरा है, आखिर पापा ऐसा क्यों करते है की वो किसी गैर मर्द के बाहों में मम्मी को सौप देते है. एक बात बताना भूल गई. जब संजय भैया और माँ अंदर होती थी तब आपको बताया था ना की चूड़ियों की आवाज आती थी. उस दिन माँ के चूड़ियों बाली जगह से जख्म रहता था, शायद चूड़ियों टूट कर माँ के हाथ में लग जाता था. ऐसा ही चलता रहा. पर मैं समझ नहीं पाई. जब मैं बड़ी हो गई अठारह साल की. तब मुझे कुछ हिम्मत हुआ की, आखिर क्या वजह है की मम्मी ऐसा काम करती है और उसका पति इसके लिए मना नहीं करता है बल्कि भेजता है.
मेरा पाप की कमाई ज्यादा नहीं थी. पर मेरे घर के खर्चे बहूत थे. मैंने सब कुछ नोटिस करना शुरू की, मम्मी कभी सोने की अंगूठी खरीदती कभी चेन खरीदती. मुझे लगा की जरूर कुछ गड़बड़ है. और मैंने एक दिन अपने कमरे में अलमारी के पीछे छुप कर बैठ गई. और पहले ही घर में कह दी थी की मैं अपने दोस्त के यहाँ जा रही हु, क्यों की उस दिन मेरे पापा और संजय भैया के बिच कुछ बात हो रही थी और वो ग्यारह बजे ग्यारह बजे कुछ बोल रहे थे. लगभग आधे घंटे बाद, मम्मी आई नहा कर वो पेटीकोट और ब्रा में थी, तभी पाप अंदर आ गए और पूछे को दोनों कहा गई है. तो वो बोल दी छोटी तो स्कूल गई है और बड़ी अपने दोस्त के यहाँ. पापा बोले आज तो तू बड़ी हॉट लग रही हो. तो मेरी माँ बोल तुम तो हरामी हो. बीवी को किसी और को सौप देते हो और कहते हो की हॉट लग रही हो. तुम मेरी ज़िन्दगी को क्यों बर्बाद कर रहे हो? तो पापा बोले मेरी जान बर्बाद नहीं आबाद बोलो, देखो कभी किसी चीज की कमी रहती है. कितने खुश है पुरे परिवार. तो माँ बोली रंडी बना कर छोड़ दिया और कहते हो की सब खुश रहते हैं.
तभी बाहर संजय भैया बाहर आवाज लगाए. मम्मी बोली ठहरो मैं ब्लाउज पहन लेती हु, अभी बोलो बाहर ही रहने, तो पापा बोले मेरी जान ब्लाउज के बगैर ही तो हॉट लग रही हो. तभी संजय भैया अंदर आ गए. और पापा बाहर चले गए. संजय भैया अंदर से दरवाजा बंद कर दिए. और माँ के बालों को सूंघते हुए बोले की क्या खुशबु है, कौन सा शेम्पू लगाई हो. मैं तो मदहोश हो रहा हु. फिर उन्होंने माँ के होठ पर अपनी ऊँगली फिरते हुए बोले, क्या कातिल होठ है आपकी. और फिर उन्होंने माँ के चूची के ऊपर किश कर लिये माँ चुपचाप खड़ी थी, वो माँ की जिस्म को छेड़ रहा था. और फिर उन्होंने माँ के पेटीकोट का नाडा खीच दिया पेटीकोट निचे गिर गया, माँ अंदर कुछ भी नहीं पहनी थी, फिर संजय भैया ने माँ के ब्रा का को पीछे से खोल दिया और उनके चूचियों को दबाने लगा.
संजय भैया सारा कपड़ा खोलते हुए नंगे हो गए और माँ को वही बेड पर लिटा दिया. और माँ के ऊपर चढ़ गए. पुरे जिस्म को कुत्तों की तरह चाटने लगा. और फिर अपना लंड निकाल कर माँ के चूत पर रखा, और जोर से घुसा दिया. आप ये कहानी नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. माँ को शायद दर्द हुआ वो कहने लगी. निकालो निकालो. और वो बोल रहा था की मैंने निकालने के लिए नहीं डाला है मेरी जान आज तो तुम गजब की लग रही हो. आज तो मैं फाड़ दूंगा चूत, और वो चूचियों को मसलते हुए वो माँ के चूत में अपना लंड जोर जोर से घुसा रहा था.
धीरे धीरे माँ भी सहयोग करने लगी. वो भी आह आह आह कर रही थी. संजय भैया ने माँ के दोनों हाथ को ऊपर कर दिया और अपने हाथ से दबा दिया. उनकी चूड़ियां टूट रही थी, और वो जोर जोर से चोद रहा था. माँ के हाथ में चूड़ियां गड रही थी. वो कह रही थी चूड़ी से दर्द हो रहा है. पर वो एक भी नहीं मान रहे थे. वो चोदते रहे, थोड़े देर बाद वो निढाल हो गए, और माँ के ऊपर ही लेट गए. माँ बोली कब तक मुझे परेशां करोगे, तो वो बोले जब तक तुम्हारे पति का मन होगा. और फिर दोनों खड़े हो गए, और संजय भैया शर्ट का बटन लगाते हुए दरवाजा खोले, मेरे पापा तभी संजय भैया से पूछे कैसा रहा, तो वो बोले मस्त.
पापा अंदर आ गए. और मम्मी को बोले डार्लिंग आज क्या खाना है. बताओ मैं अभी लेके आता हु, मम्मी गुस्से से बोली भागो यहाँ से. पापा बोले चलो मैं ही ला देता हु, और वो चले गए. मम्मी कपडे पहन कर बाथरूम जो की छत पर था वो चली गई. मैं तुरंत ही भाग कर बाहर गई. और करीब १० मिनट बाद आई. मम्मी अपने बाल बाँध रही थी. मुझे आजतक हिम्मत नहीं हुई की मैं अपनी माँ और पापा को पूछ सकूँ की क्या माजरा है?